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नई वस्तु की खोज


पहले के लोगों के कभी मन मे न आई थीं उन्हे अब हम प्रत्यक्ष देख रहे हैं। जब बड़े लोगों का यह हाल है कि दिन रात उम्दा-उम्दा नई-नई चीज़ खोज रहे हैं तो हम आप किस गिनती में हैं; कोई बात जो किसी फ़ायदे की न-सोच सके तो दिल-बहलाव के क्रम पर नये ढग का यह लेख ही सही आप के नज़र है।

जून; १९०१