पृष्ठ:भट्ट-निबन्धावली.djvu/१४२

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१२८. भट्ट-निबंधावली .' • हमें तो यही जान पड़ता है कि हमारे देश मे संशोधन केवल सपने में वर्राने के समान है । कोई कितना ही 'सिर खाली करे, होना-जाना कुछ नहीं है । इसीलिये हम कहते हैं, हमारे देश में एक नये तरह का जनून पैदा हो गया है। नवम्बर १८९२. ..