दूसरे संस्करण पर वक्तव्य 'भट्ट-निबन्धावली' का यह संग्रह मैने पडित ज्योतिप्रसाद मिश्र 'निर्मल' की प्रेरणा से तैयार किया था और उन्हीं की कृपा से यह सम्मेलन द्वारा प्रकाशित भी हुश्रा । उन्दी के प्रयत्न से कुछ ही दिन- बाद इसका दूसरा भाग भी सम्मेलन से 'छपा । इस निबन्धावली का हिन्दी संसार में यथोचित सम्मान हुअा है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन की उत्तमा, प्रयाग विश्वविद्यालय की एम० ए० प्रादि कई परीक्षाओं मे यह पाठ्य पुस्तक भी स्वीकृत हो चुकी है। इसके उत्तरोत्तर बढ़ते हुए मान को देखकर इसके कुछ और निबन्धों को काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने भी मेरे. सम्पादकत्व में अपने यहाँ भट्ट-निवन्ध माला" के नाम से प्रकाशित किया है। हम पाठकों के सम्मुख इनके "हिन्दी भाषा और साहित्य" . 'सम्बन्धी निबन्धों का संग्रह भी शीघ्र ही प्रस्तुत करेंगे। अहियापुर, प्रयाग ४ मई १६४८ धनंजय भट्ट 'सरल'
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