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• अब यह पांचवी पुस्तक 'भट्ट-निवन्धावली' के नाम से हिन्दीप्रेमियों के सम्मुख उपस्थित की जाती है। इसमें भट्ट जी के ३२ भावात्मक 'निबन्ध संग्रह किये गये हैं। ये सभी लेख 'हिन्दी-प्रदीप' से लिये गये हैं। प्रत्येक लेख के नोचे उसकी रचना का समय भी दे दिया गया है। ____ भट्ट जी की जो अब तक चार पुस्तके प्रकाशित हो चुकी हैं, हिन्दी ” संसार में उनका यथोचित सम्मान हुश्रा है । वे जितनी लोक-प्रिय सिद्ध हुई और उनके जितने अधिक संस्करण हुए उतने शायद बहुत कम दूसरी पुस्तकों के हुए 'होंगे। अाशा है, हिन्दी-संसार इस नूतन संग्रह का भी उसी प्रकार स्वागत करेगा। अहियापुर, इलाहाबाद धनञ्जय भट्ट 'सरल' १६ दिसम्बर १९४३ 11 - -