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भक्ति और शति रस के कवित्त : ९९
दोहा
श्री जगदंबा राधिका। त्रिभुवन पति की प्रान।
तिनके पद में मन रहे। श्री शिव दिजें दान॥२३॥
इति श्री ग्वाल कवि कृत भक्तभावन ग्रंथ संपूर्णम्
विक्रम संवत् १९५३ का माघ वदी १० शुक्रवार के दिन श्री सिहोर में खवास गोविन्द गीलाभाई ने यह ग्रन्थ मधुरा से कवि नवनीतजी की पास से मंगाय कें उन
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