पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/८६

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हमारे देश के बहुत से लोग इससे अाकर्षित हो, इसका मनन करें, इसका पठन-पाठन करे, और देश के पुरातन समय की एक महान विभूति ने जो कुछ विचार प्रकट किये हैं और जिन्हें वर्तमान काल की दूसरी विभूति ने लिपि-बद्ध किया है, उन्हें सममें और अपने देश को परम्परा का गर्व करें और उसके योग्य अपने को बनावें। मेरी यह भी हार्दिक अभिलाषा है कि इसके द्वारा पषित प्रवर मेखक की भी स्मृति सदा जाग्रत रहे और बुद्ध भगवान और प्राचार्य नरेन्द्र- देव जी के अन्तर के लंबे अवसर की हमारी राजनितिक और सांस्कृतिक कहानी हमारे हृदयों को सदा बल और उत्साह देती रहे। राजमवन, मखास श्रीप्रकाश राज्यपाल, मद्रास १४ मार्च