पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/२५१

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सतम अभ्याब १६३ अन्य स्त्र - अन्य सूत्र-ग्रन्थो में 'समाधिराज-सूत्र' और 'सुवर्णप्रभास-सूत्रः ये दो सूत्र विशेष महत्त्व के हैं। समाधिराज का दूसरा नाम चन्द्रप्रदीप-सूत्र है । इस ग्रन्थ में योगाचार की अनेक समाधियों का वर्णन है। सुवर्णयमास-सूत्र में भगवान् के धर्मकाय की प्रतिष्ठा है अर्थात् बुद्ध का रूपकाय नहीं है और इसलिए भगवान् के धातु का वस्तुतः उत्पनि नहीं है । इसके तीन चीनी अनुवाद उपलब्ध हैं । धर्मक्षेम ( ४१४-४३३ ई.) परमार्थ तथा उनके शिष्य ( ५५२-५५७ ई० ) और इलिंग ( ७०३ ई.) ने सुवर्णप्रभास के चीनी अनुवाद किये थे । महायान देशों में इस ग्रन्थ का बड़ा अादर है। मध्य- शिया में भी इस ग्रन्थ के कुछ अंश मिले हैं।