पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/१८

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सर्वास्तिवाद का मतभेद --फल ) लोक-धातु-अनुशव-ज्ञान्ति, शान तथा दर्शन-हष्टि । षोडश अध्याय सोत्रान्तिमय सौत्रान्तिक श्राख्या पर विचार-वभाषिक से सौत्रान्तिक का मतमेव और सौत्रान्तिक सिद्धान्त । मतदश अध्याय - भार्य प्रसंग का विज्ञानमय २८४-४१४ महायान का बुद्ध-बचनल-महायान की उत्कृष्टता-श्रावकयान से विरोध-बोषि- सब के गोत्र --बोर्धाि-वत्तोत्पाद-बोधिसत्व का संभार-प्रसंग के दार्शनिक विचार-चोधिचर्या-बुद्धत्व (बोधि) का लक्षण-बुद्धत्व का परमात्मभाव-शंकर के प्रात्मभाव से तुलना-असंग का अद्वैतवाद --- निर्वाण-त्रिकायवाद-बुद्ध की एकता अनेकता-उपनिदों के श्रात्म-बाद से तुआना-धर्म के तीन स्वभाव-प्रारमा और लोक की मायोपता---धर्मों का तथता-ऐ II-लौकिक-अलौकिक समाधि--बोधिचर्या का प्रम व स्वरूप---बावध शक्यता -- बोधिपाक्षिक धर्म -पुद्गलनैरात्म्य-~-बोधिसत्र की दशभूमिया । मष्टादश अध्याय - सुबन्धु का विज्ञामवार ()[विंशतिका के माधार पर] ४१५-४२१ बालार्थ का प्रतिपंध-यज्ञांसमाप्रता-परमाणुयाद का खंडन । सुबन्धु का विज्ञानवाद (२) [ मान-कांग की सिद्धि प्राधार पर] ४२२-४८७ सिद्धिा का प्रतिपाय-विज्ञान पारणानक विविध मतवाद-श्रात्ममाह की परीक्षा- अात्मनाह की उत्पत्ति-श्रात्मबाद का निराकरण और मूल-विज्ञान-धर्मग्राह की परीक्षा-हीनयान के सतिघ रूपों के द्रव्यत्व का निषेध--परमाणु पर विचानवादी सिद्धान्त-अप्रतिघ रूपों के द्रव्यत्व का निपंध-असंस्कृतों के द्रव्य-सत्व का निषेध- ग्राम-ग्राहक विचार-श्राम-धोपचार पर श्राक्षेप, समाधान-विज्ञान के त्रिविध परिणाम-श्रालयविज्ञान-श्रालय का सर्वबाजकता-आलय से लोक की उत्पत्ति- बालंबनवाद-श्रालय का चैतों से संप्रयोग-श्रालय-विज्ञान की वेदना-मालय और उसके चैत्तों का प्रकार-प्रतीत्यसमुत्पाद --श्रालय की व्यावृत्ति-अष्टम विज्ञान पर एत्रान-चाग का मत-अष्टम विज्ञान के पक्ष में आगम के प्रमाण और युक्तियाँ-- बीजधारक चित्र-विपाक चित्त-गति और योनि-उपादान-बीवित, उष्म और विज्ञान-प्रतिधि-नित्त और मरया-नि-विज्ञान और नामरूप--प्राहार--