पृष्ठ:बौद्ध धर्म-दर्शन.pdf/१७

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हतोष खण्ड (२१९-३०८) [बौद-दर्शन के सामान्य सिमान्त ] एकादश मध्याय भूमिका २२१-२२३ बौद्ध-दर्शन को भूमिका । हादरा अध्याय कार्यकारण संबन्धी सिद्धान्त २२४-२४९ प्रतीत्यसमुत्पादवाद-क्षणभंगवाद--अनीश्वरवाद-अनात्मवाद । प्रयोदश अन्याय कर्म-फल के सिवान्त २५०-२०७ कर्मवाद (शुद्ध मानसिक-कर्म-काय-कर्म-धाक्-कर्म-कर्म की परिपूर्णता-प्रयोग और मौलकर्म-प्राणातिपात की आज्ञापनविज्ञप्ति--पुण्यक्षेत्र–श्रविशप्ति-कर्म- देव और पुरातन कर्म-बुद्धि और चेतना-कुशल और अकुशल मृल-शीलव्रत- रामर्श-कर्मफल-कर्म-विपाक के संबन्ध में विभिन्न मत )। चतुर्देश अध्याय । विभिन्न बौद्ध सिदान्त में निर्वाण का रूप RVG-10G निर्वाण ( पाश्चात्य विद्वानों के मत--पूसे का मतयोग और बौद्ध-धर्म-निर्वाण की कल्पना-धर्म-निर्वाण - निर्वाण का परम्परानुसार स्वरूप-वैभाषिक और मौत्रान्तिक मत-प्रसंस्कृत के संबन्ध में वचन--निर्वाण का मुख्य श्राकार-निर्वाण के अन्य प्रकार-शरखास्की का मत--- हीनयान के परवर्ती निकायों का मत-निर्वाण का नया स्वरूप, निर्वाण के भेद )। चतुर्थ खण्ड (३०९-५६२) [बौद-दर्शन के चार प्रस्थान : विषय परिचय और तुलना पश्चदश अध्याय: वैभाषिक-नम ३११-३७१ सर्वास्तिवाद-सर्वास्तिवाद का आख्या पर विचार--सर्वास्तिवादी निकाय के भेद- धर्म-प्रविचय-- संस्कृत (स्कंध-प्रायतन-धातु ) धर्म -आत्मा और ईश्वर का प्रतिषेध-परमाणुवाद-चतुरादि विज्ञान के विषय और श्राश्रय-इन्द्रिय-चित्त- चैत-चित्त-चैत्त का सामान्य विचार-~-चित्त-विप्रयुक्त धर्म-निकाय-सभाग-दो समापत्तिया-संस्कृत-धर्म के लक्षण-नाम, पद, व्यंजन-काय--न्याय-वैशेषिक से वैभाषिकों की तुलना-हेतु-फल-प्रत्ययता का वाद ( प्रत्यय-प्रत्ययों का अध्वगत एवं भमंगत कारित्र- स्थविरवाद के अनुसार प्रत्यय -हेतु-हेतुओं पर सौत्रान्तिक और