नहींहोता। किसी किसी विषयमें ऐसे अनेक कौशल हैं जिनको मनुष्य सहजहीमें समझ सकते हैं, उनकीप्रशंसा करसकते हैं और अनुकरणद्वारा उनसे लाभ भी उठासकते हैं; परन्तु भाग्यवान् होनेके कौशल ऐसे गुप्त हैं कि उनका जानना सबका काम नहीं है उनको जो जानते हैं वे, चाहै जैसा अवसर आन पड़ैं, शान्तचित्त होकर ऐसे चातुर्य का वर्ताव करते हैं और अपनी बुद्धिकोसमयानुसार "चक्रनेमिक्रमेण" ऐसी सामञ्जसीभूत करदेतेहैं कि इष्टसिद्धी हुए बिना नहीं रहती। लीवी नामक रोमन कविने केरो मेजरके विषयमें कहा है कि वह ऐसा चाणाक्ष था और उसकी शारीरिक तथा मानसिक शक्ति ऐसी प्रबल थी कि उसका चाहै जहां जन्म होता वह अवश्यमेव भाग्यशाली पुरुष होता। अतः यह सिद्ध है कि जो चतुर मनुष्य सावधान होकर सूक्ष्म दृष्टिसे देखने का प्रयत्न करेगा उसका भाग्योदय अवश्य होगा, क्योंकि भाग्यके यद्यपि नेत्र नहीं होते तथापि भाग्यवान् होनेकी इच्छा रखनेवालोंके नेत्र होते हैं।
भाग्योदय आकाशगंगा के समान है। आकाश गंगा छोटे छोटे तारागणोंका एक स्तबक मात्र है। ये तारागण पृथक् पृथक् नहीं दिखाई देते परन्तु एकत्र होनेसे दीप्तिमान् होजाते हैं और आकाश को प्रकाशित करते हैं। इसी प्रकार सौभाग्य का कोई नियत मार्ग नहीं है। छोटे छोटे गुण, बुद्धिकौशल्य, तथा देशकी साधारण रीतियां-यही सब मनुष्यके भाग्योदय का कारण होते हैं। इटली के निवासी बहुतसी ऐसी छोटी छोटी बातोंको सौभाग्यका कारण बतलाते हैं जो क्वचितही और किसी मनुष्यके ध्यानमें आती होंगी। वे जब कभी ऐसे मनुष्यके विषयमें भाषण करते हैं जिससे कभी किसी प्रकार की भूल होतीही नहीं तब वे उस बातको किसी दूसरे प्रसंगमें डाल देते हैं अर्थात् वे यह सिद्ध करते हैं कि एतादृश निष्कलंक व्यवहार किए बिना अमुक व्यक्तिका निर्वाहही नहीं हो सकता; इसीसे विवश होकर वह ऐसा करता है। इस प्रकार उस मनुष्यके आचरणकी आलोचना करकै वे कहते हैं कि। "देखो, वह कैसा चतुर पुरुष है"।