पृष्ठ:बेकन-विचाररत्नावली.djvu/१०३

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बेकन-विचाररत्नावली।

टिबेरियस [१]सीज़रने सेजानस[२] को इतने ऊंचे पदपर चढ़ा दियाथा कि, मनुष्य उन दोनोंको मित्रयुग्म कहने लगे थे। टिवेरियसने एक पत्रमें, सेनानस को लिखा है, कि "हमारी दोनों की अतिशय मैत्री होने के कारण हम ये बातैं तुमसे गुप्त नहीं रखते"। इससे सिद्धहैकि टिबेरियस गुप्त से गुप्त भी बातैं सेजानससे कहदेताथा। रोम की सेनेट सभाने, इन दोनों की दृढ मैत्री के स्मरणार्थ, देवताओंके देवालयके समान मैत्रीका एक मनोहर मन्दिर निर्म्माण कर दियाहै। ऐसीही, किंबहुना इससेभी आधिक सेप्टीमिस[३] सेविरस और प्लाटियानस[४] की मित्रता थी। सेप्टीमिस सेविरसने, अपने बड़े लड़केका प्लाटियानस की लड़कीके साथ बलवत् विवाह कर दियाथा। अपने लड़के और


  1. टिबेरियस सीज़र, रोम में, एक महाविषयी राजा होगया है। अपने मित्र सेजानसको राज्यकाभार अर्पण करके यह वांछित सुख भोगमें निमग्न होगया था। सन् ३७ ई॰ में इसका अन्त हुआ।
  2. सेजानस, टिबेरियसका परममित्र था। राज्यशासन सूत्र, इसके हाथ में आतेही, इसने उलटी टिबेरियसहीकी अवहेलना आरम्भ की। वही इसके मृत्यु का कारण हुआ।
  3. सेप्टीमिस सेविरस रोमका राजा था। इसका शासन काल सन् २११ ई॰ तक रहा।
  4. प्लाटियानस की जन्मभूमि आफ्रिका थी। इसका जन्म एक नीचकुलमें हुआ था। रोमका राज्य पानेके पहलेही सेप्टीमिस सेविरससे इसकी मित्रता होगईथी। सेप्टीमिस सेविरसने इसका महत्व बहुत ही बढ़ा दिया था। सेप्टीमिस सेविरसके लड़के की इच्छा के विरुद्ध इसने अपनी लड़की का विवाह उससे करा दिया था। लड़की को जब कष्ट मिलने लगा, तब प्लाटियानस ने राजा और राजपुत्र के प्रतिकूल कुछ जाल फैलाया। इस बातको सुनकर सेप्टीमिस सेविरसने इसे मरवा डाला।