अध्याय ४ ब्राह्मण ५ अपने जीवात्मा की । कामाय-कामना के लिये । वित्तम्-धन ।। प्रियम्=प्यारा । भवति होता है। अरे हे मैत्रेयि ! । ब्रह्मणः- ब्राह्मण के । कामाय-मतलब के लिये । ब्रह्मवाह्मण । प्रियम्- लोगों को प्यारा । वैन-नहीं । भवति होता है। तु-परन्तु । आत्मन: अपने जीवात्मा के । कामाय-मतलब के लिये । ब्रह्माक्षण । प्रियम्=पारा । भवति होता है । अरे हे मैन्नेयि !! क्षत्रस्य-क्षत्रिय के । कामाय-मतलब के लिये । क्षत्रम्-क्षत्रिय । प्रियम्-लोगों को प्यारा । न-नहीं । भवति- होता है। तु-परन्तु । श्रात्मन: अपने जीवात्मा के । कामाय% मतलय के लिये । क्षत्रम्-सनिय । प्रियम्=प्यारा । भवति- होता है। अरे हे मैत्रेयि! ! लोकानाम्लोकों के । कामाय- मतलब के लिये । लोका: लोक प्रिया:-प्यारे । न वैनहीं । भवन्ति होते हैं। तु-परन्तु । आत्मनः अपने जीवात्मा के । कामाय-मतलब के लिये । लोका-लोक । प्रिया-प्यारे भवन्ति होते हैं । अरे हे मैत्रेयि ! | देवानाम्-देवताओं के । कामाय-मतलब के लिये । देवाः-देवता । 'प्रिया=ज्ञोगों को प्यारे । न वैनहीं । भवन्ति-होते हैं । तु-परन्तु । श्रात्मनः अपने जीवात्मा के । कामाय-मतलब के लिये । देवाः देवतां । प्रिया-प्यारे । भवन्ति-होते हैं । अरे हे मैत्रेयि ! । भूता नाम्-प्राणियों के । कामाय-मतलब के लिये। भूतानि और प्राणी । प्रियाणिप्रिय । न वै-नहीं । भवन्ति होते हैं । तु= परन्तु । श्रात्मन: अपने जीवात्मा की । कामाय-कामना के लिये । भूतानिपाणी । प्रियाणिपारे । भवन्ति-होते हैं । अरे हे मैत्रेयि ! । सर्वस्य-पब के । कामाय-मतलब के लिये। सर्वम् सत्र | प्रियम्-प्यारे । न वै-नहीं। भवति-होते हैं। तु-परन्तु । श्रात्मन: अपने जीवात्मा के । कामाय-मतलब के
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