अध्याय २ ब्राह्मण ६ "२६९ न्याद्विदर्भाकौण्डिन्यो वत्सनपातो बाभ्रवाद्वत्सनपाद्- बाभ्रवः पथः सौभरात्पन्थाः सौभरोऽयास्यादागिर- सादयास्य आङ्गिरस आभूनेस्त्वाष्ट्रादाभूतिस्त्वाष्ट्रो विश्वरूपावाष्ट्राद्विश्वरूपस्त्वाष्ट्रोऽश्विभ्यामश्विनौ दधीच आथर्वणाद्दध्यङ्ाथर्वणो देवादथर्वादेवो मृत्योःप्राध्व सनान्मृत्यु मध्वसनः प्रध्वसनात्मध्वसना एकरे- कपिर्विप्रचित्तेविप्रचित्तिय॑य॒ष्टिः सनारोः सनारुः सनातनात्सनातनः सनगात्सनगः परमेष्टिनः परमेष्टी ब्रह्मणो ब्रह्म स्वयम्भु ब्रह्मणे नमः॥ ३ ॥ इति पष्टं ब्राह्मणम् ॥ ६ ॥ इति श्रीबृहदारण्यकोपनिपदि द्वितीयोऽध्यायः ॥२॥ अथ वंशः। पौतिमाप्य ने गौपवन से विद्या प्राप्त की गौपवन ने पौति- माण्य से विद्या प्राप्त की, पौतिमाय ने गौपवन से, गौपवन ने कौशिक से, कौशिक ने कौण्डिन्य से, कौण्डिन्य ने शाण्डिल्य से, शाण्डिल्य ने कौशिक और गौतम से, गौतम ने आग्निवेश्य से, याग्निवेश्य ने शाण्डिल्य और अनमिम्लात से, अनभिम्लात ने थानभिम्लात से, श्रानभिम्लात ने मानभिम्लात से, आनभिम्लात ने गौतम से, गौतम ने सैतव और प्राचीनयोग्य से, सैतव और प्राचीनयोग्य ने पाराशर्य से, पाराशर्य ने भारद्वाज से, भारद्वाज ने भारद्वाज और गौतम से, गौतम ने भारद्वाज से, भारद्वाज ने
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