बौद्ध-संघ के भेद बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् महाज्ञानी महाकाश्य ने, जोकि बुद्ध के शिष्यों में सर्वश्रेष्ठ था,इस बात पर विचार करना आवश्यक समझा कि धर्म और विनय दोनों साथ मिलाकर गाये जायं और एक चार धम्म और विनय का परिपूर्ण पाठ किया जाय । ४E६ अर्हत इस कार्य के लिए चुने गए और श्रानन्द ने इसमें सम्मिलित होकर ५०० की संख्या पूरी की। उपाली हजाम विनय में, और आनन्द धर्म-सूत्र में प्रामाणिक माने गए। यह समा राजगृह में ईसा के ४७७ वर्ष पूर्व गौतम की मृत्यु होने पर हुई, और उसमें धम्म और विनय के पवित्र पाठ को निश्चित किया गया और शुद्ध किया गया। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया बुद्ध के सिद्धान्तों को लेकर दार्श- निक मतभेद होते चले गए। बहुत-से नियम और उपनियम- सम्बन्धी भेद भी बढ़ते चले गए। अन्त में गौतम की मृत्यु के १०० वर्ष पश्चात् ईसा से ३७७ वर्ष पूर्व वैशाली में विजयनों ने १० विवादास्पद विषयों को प्रकाशित किया और उनके निर्णय के लिए दूर-दूर से बौद्ध भिक्षुओं को एकत्रित करनेका नयोग किया। ककंड (Gorernment Näirza. (P Press) : Amii
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