पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/५०

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बुद्ध की आचार-सम्बन्धी आज्ञाएं (५) जो कार्य उसे करने पड़ते हों उनमें चतुराई और 'परिश्रम दिखलाकर। ४-मित्र और साथी सभ्य मनुष्य को अपने मित्रों से इस प्रकार व्यवहार करना चाहिए- (१) उपहार देकर। (२) मृदु सम्भाषण से। (३) उनके लाभ की उन्नति करके। (४) उनके साथ अपनी बराबरी का व्यवहार करके । (५) उनके साथ अपना धन खर्च करके। मित्रों को उसके साथ इस प्रकार प्रीति दिखानी चाहिए- (१) जब वह बेखबर हो तो उसकी निगरानी करके। (२) यदि वह अल्हड़ हो तो उसकी सम्पत्ति की रक्षा करके (३) आपत्ति समय में उसे शरण देकर। . (४) दुःख में उसका साथ देकर । (५) उसके कुटुम्ब के साथ दया दिखाकर । ५-स्वामी और नौकर स्वामी को अपने सेवकों को इस प्रकार सुख देना चाहिए- (१) उनकी शक्ति के अनुसार उन्हें काम देकर । (२) उचित भोजन और वेतन देकर। (३) रोग की अवस्था में उनके लिए यत्न करके। (४) उन्हें असाधारण उत्तम वस्तुएं देकर।