पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/२५३

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बुद्ध और बौद्ध-धर्म -- प्रकाश मिलता था। दूर-दूर के यात्री यहां श्रा-आ कर सुन्दर का!बी के छात भेंट करते थे। वे गुम्बज के सिरे पर गुलदान के नीचे रक्खे जाते थे और वे पत्थर में सूइयों की तरह खड़े रहते थे। इस तरह झंडा गाड़ने की रीति.आजतक जगन्नाथ में प्रचलित है। दक्षिण-पश्चिम की ओर एक चरित्र नाम का बड़ा भारी बन्दर गाह था। यहाँ के व्यापारी बड़े दूर-दूर के देशों की यात्रा करते थे । विदेशी लोग यहाँ पर बाते-जाते और ठहरते थे। नगर की दीवार दृढ़ और ऊँची थी। यहाँ हर प्रकार की बहुमूल्य वस्तुएँ मिलती थीं। उड़ीसा के दक्षिण-पश्चिम में चिल्क झील के तट पर कान्योध का राज्य था । यहाँ के निवासी शूरवीर, सच्चे और उद्योगी थे, पर वे काले और मैल थे। लिखने में मध्य भारतवर्ष के अक्षर काम में लाते थे, पर इनका उच्चारण विल्कुल भिन्न था । यहाँ के निवासी हिन्दू थे, यहाँ बौद्ध-धर्म का अधिक प्रचार नहीं था। यह जाति बड़ी ही प्रबल थी। अपने भुजबल से वह आस-पास के प्रान्तों पर शासन करती थी । समुद्र-तट पर रहने के कारण लोगों को बहुत-सी कीमती वस्तुएँ मिल जाती थीं । लेन-देन में ये लोग मोती और कौड़ियों को काम में लाते थे। बोझ को खींचने के लिये यह लोग हाथियों को काम में लाते थे। इस रान्य के उत्तर-पश्चिम में एक बड़े जंगल के पार कालिंग का प्राचीन राज्य था । इस राज्य का घेरा १०० मील था, इसकी राजधानी ५ मील के घेरे में थी। यहाँ बहुत-सं घने जंगल थे, जिन