२५७ दो अमर चीनी बौद्ध भिक्षु - करके मरत हैं। इस देश के लोग समझते हैं कि जो मनुष्य स्वर्ग में जाना चाहे वह एक चावल के दाने पर उपवास रखकर अपने आपको जल में डुया दे। वहाँ नदी के बीच में एक बड़ा भारी न्तंभ है, जिस पर चढ़कर लोग डूबते हुए सूर्य को देखते हैं ।" कौशाम्बी जहाँ बहुधा बुद्ध ने उपदेश दिया था उसके विपय में हुएनत्संग लिखता है-"यह एक अब तक भरा पूरा नगर था, इसका घेरा १२०० मील था, चावल और अख यहाँ पर बहुत पैदा होता था, यहाँ । लोग यद्यपि कठोर और उजड़ कहे जाते हैं फिर भी वे सच्चे और धार्मिक थे। श्रावस्ती अब ऊजड़ गई थी। इस राज्य का घेरा १२०० मील था। गौतम का जन्म-स्थान कपिलवस्तु भी अब खंडहर हो गया था। इस देश का घेरा ८०० मील था, इसमें फरीब १० उजाड़ नगर थे । राजभवन का खंडहर तीन मील के घेरे में था। यहाँ पर कोई राजा नहीं था, प्रत्येक नगर ने अपने-अपने सरदार नियत कर लिये थे। गौतम का मृत्यु स्थान कुशीनगर भी इसी प्रकार उजाड़ था। इलाहाबाद और हरिद्वार की तरह बनारस भी हुएनत्संग के समय तक हिन्दुओं का एक धर्म-स्थान था। इस देश का घेरा २०० मील था। राज- धानी ४ मील लम्बी और १ मील चौड़ी थी। यहाँ के लोग समृद्ध विद्वान् और धार्मिक थे। यहाँ के ३० संघारामों के ३००० पुजारी और १०० मन्दिरों के १०,००० पुजारी थे । विशेषतः बनारस में महेश्वर की पूजा होती थी, कुछ लोग बाल कटवा कर नंगे रहकर और शरीर में भभूत लगा कर पुनर्जन्म की निवृत्ति के लिये -1
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