जब. एकराज कनिष्ठ अन्तिम बौद्ध-सम्राट आन्ध्रों का मध्य भारत में शासन चल रहा था, तब पश्चिमीय सीमा पर विदेशियों के आक्रमण हो रहे थे। सिकन्दर के लौट जाने पर चन्द्रगुप्त ने लिन्ध नदी के प्रान्तों में यूनानी सेनापति सिल्यूकस को हरा कर यूनानियों को निकाल दिया था। परन्तु बेक्टिरिया में यूनानियों का एक स्वतंत्र राज्य था। हिन्दुओं तथा वेक्टिरिया के यूनानियों में लड़ाई-झगड़े चलते ही रहते थे। बेक्टिरिया के यूनानी सिक्के बनाने में बड़े निपुण थे। उनके सिक्कों से ईस्वी पूर्व १ से ३ तक उनके सभी राजाओं की सूची बन गई है। कभी-कभी ये सिन्धु से आगे बढ़ जाते थे। बौद्ध सभ्यता में इसीलिये इनका इतना प्रभाव हुआ है कि बौद्धों के खंडहरों में यूनानी संगतराशों के चिह्न तथा बौद्ध राजाओं के सिकों में यूनानी लेख खुदे मिलते हैं। ई० सन् १२६ में युची लोगों ने अन्य कुछ जातियों से मिल कर मध्य एशिया के रास्ते काबुल को जीता-और सिन्ध तक अपना अधिकार कर लिया। बेक्टिरिया राज्य का अन्त हो गया। इसी जाति का एक राजा हरिश्क काबुल में राज्य करता था। वह
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