१६६ महान् बुद्ध सम्राट अशोक आदि का काम करती थी। साईस, बाजेवाले, घसियारे, कारीगर, मजूर-सब इसी के अधीन थे । तीसरी उपसमिति पैदल, चौथी सवारों, पाँचवी रथों और छठी हाथियों के विभाग का निरीक्षण करती थी। राज्य-प्रवन्ध प्रत्येक १० गाँवों के मध्य गाँव में एक करवा और एक गढ़ी होती थी। २०० गाँवों के बीच एक शहर और मिला होता था। इसे खारवाटिक कहते थे । ४०० गाँवों के बीच एक नगर होता था, जिसे द्रौणमुख कहते थे। ८०० गाँवों के बीच एक स्थानीय होता था। इसके बाद बड़े-बड़े नगरों की बारी आती थी। पुलिस इसका काम अपराधियों का पता लगाना और उन्हें न्याया- धीश के सामने लाना था। इसका यह भी काम था कि राज्य- कर्मचारियो' को लोकमत की सूचना दे । वह आजकल के सीक्रेट सर्विस के तौर पर थी। अशोक ने इनके लिए पुलिसादि और पतिवद का प्रयोग किया है। एक विभाग धर्म-निरीक्षण था जो धर्म-प्रचार का प्रवन्ध करता था । गुप्तचरों का काम बड़ा जान- जोखिम का था। न्याय कानून बहुत कठोर थे। झूठी गवाही देने, राजा को सवारी के सम्मुख आने, पवित्र वृक्षों को काटने, टैक्स न देने की सजा मृत्यु थी, मार-पीटकर इकवाल कराने का भी रिवाज था।
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