बुद्ध और बौद्ध धर्म १६६ स्थिर रहे, जिसमें वे मेरी शिक्षाओं के अनुसार चलें । क्योंकि इस पथ पर चलने से मनुष्य यहाँ तथा परलोक, दोनों में सुस्त्र प्राप्त करता है। मैंने यह सूचना अपने राज्याभिपेक के २७ ३ वर्ष में खुदवाई है। जहाँ कहीं यह सूचना पत्थर की लाटों पर है, वहाँ वह बहुत समय तक स्थिर रहे। यह सूचना बहुत समय तक स्थिर रही है, और उसके उपरान्त के दो हजार वर्षों में मनुष्य-जाति ने दया, दान, सत्य, पवित्रता, उपकार और भलाई की उन्नति करने से बढ़कर इस संसार ने कोई धर्म नहीं पाया है। अशोक का धर्म-कार्य अशोक का धर्म कुछ ऐसा निराला और अद्भुत था, जिसे हम पृथ्वी-भर में अलौकिक मान सकते हैं। रोमन-सम्राट् कन्सटैएटा- इनन और औरंगजेब ने भी धर्म-प्रचार में नाम पाया, परन्तु अशोक का तो व्यक्तित्व ही और था। उस समय तक भी बौद्ध- धर्म आर्य-धर्म का एक सम्प्रदाय-मात्र था, जो धीरे-धीरे यज्ञों, उन की हिंसायों तथा उनके कर्ताओं की प्रबल सत्ता का विरोध कर रहा था। अशोक ने इस साधारण सम्प्रदाय को जगमान्य बना दिया । आज चीन, जापान, लङ्का, श्याम, बर्मा, तिब्बत आदि देशों में पचासों करोड़ बौद्ध हैं, यह सब बुद्ध का प्रभाव है। यवनों से शासित यूरोप और अफ्रिका में भी अशोक ने बौद्ध-धर्म का प्रभाव बड़ी शान्ति से कराया, यद्यपि वे स्वयं जीवन के अन्त .
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