पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१७९

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युद्ध और बौक-धर्म १६२ चाहिए । जीत हुए जानवरों को नहीं जलाना चाहिए । जंगल चाहे असावधानी से अथवा उसमें रहनेवाले जानवरों को मारने के लिए जलाए नहीं जायँगे । तीनों चतुर्मास्यों की पूर्णिमा को, पूर्णिमा के चन्द्रमा का तिष्य नक्षत्र से और पुर्नवसु नक्षत्र से योग होने पर चन्द्रमा के चौदहवें और पन्द्रहवें दिन और पूर्णिमा के उपरान्त वाले दिन और साधारणतः प्रत्येक पोसथ दिन में किसी को मछली मारनी वा वेचनी नहीं चाहिए। प्रत्येक पक्ष की अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा को और तिष्य, पुर्नवसु और तीनों चतुर्मास्यों की पूर्णिमा के दूसरे दिन किसी को साँड़, बकरा, भेड़ सूअर वा किसी दूसरे वधिए किए जानेवाले जानवरों को अधिया नहीं करना चाहिए। तिष्य पुर्नवसु और चतुर्मास्यों की पूर्णिमाओं को और चातुर्मास्यों की पूर्णिमाओं के दूसरे दिन घोड़े वा वैल को नहीं दाराना चाहिए। अपने राज्याभिषेक के २६वें वर्ष में मैंन २६ बन्दियों को छोड़ दिया है। सूचना- देवताओं का प्रिय राजा पियदसी इस प्रकार बोला। अपने राज्याभिषेक के १२ वर्प पर मैंने अपनी प्रजा के लाभ और सुख के लिए (पहले-पहल) सूचनाएँ खुवाई। मैं यह समझकर प्रसन्न हूँ कि वे लोग इससे लाभ उठावेंगे, और धर्म में अनेक प्रकार से उन्नति करेंगे, और इस भांति ये सूचनाएँ लोगों के लाभ सुख का 3