बुद्ध और बौद्ध-धर्म १८१ उत्सव किये जाने की आज्ञा दी, (४) धर्म की शोभा प्रकट की, (५) धर्म महाभाबों और उपदेशकों को नियत किया (६) सर्व- साधारण के सामाजिक और गृह-सम्बन्धी जीवन के आचरणों की सुधार के लिये प्राचार शिक्षक नियत किए, (७) सबके लिये धार्मिक अप्रतिरोध प्रकट किया (5) प्राचीन समय के हिंसक कायों के स्थान पर धार्मिक सुखों की प्रशंसा की, (E) धार्मिक शिक्षा और सदुपदेश देने की महिमा लिखी, (१०) सत्य-धर्म के प्रचार करने की कीर्ति और सत्य वीरता की प्रशंसा की,(११) सब प्रकार के दानों में धार्मिक शिक्षा के दान को सर्वोत्तम कहा, (१२) सार्व- जनिक सम्मति के सम्मान और आचार प्रभाव सम्बन्धी सिद्धांतों पर अन्य धर्म के लोगों को अपने मत में लेने की इच्छा प्रकट की, (१३) कलिंग के विजय का उल्लेख किया, और उन पाँच यूनानी राजाओं तथा भारतवर्ष के राज्यों के नाम लिखे, जहाँ धर्मोपदेशक भेजे गए थे, और अन्त में (१४) उपर्युक्त शिला लेखों का सारांश दिया, और सूचनाओं के खुदवाने के विषय में कुछ वाक्य लिखे। ऐतिहासिक दृष्टि से दूसरी सूचना बड़े काम की है, क्योंकि उसमें सीरिया के एण्टिोकस तथा हिन्दू राज्यों के नाम दिए हैं। पाँचवीं सूचना में भी ऐसे नाम हैं, और तेरहवीं सूचना में कलिंग के विजय का उल्लेख है, जिससे बंगाल और उड़ीसा का मगध और उत्तरी भारतवर्प से घनिष्ठ राज्य सम्बन्ध हुआ। इसी सूचना में पाँच यूनानी राजाओं के नाम दिए हैं, और ,
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