बुद्ध और बौद्ध-धर्म मध्यप्रदेश और राजपूताना में भी पाए गए हैं। जो अभिषेक के ३८ वर्ष वाद तक के मिलते हैं। इनमें '२५६ अंक मिलता है, जो बुद्ध की मृत्यु का अंक है। इनके अतिरिक्त कई स्तम्भ, लेख आदि और भी हैं। इन लेखों में कुछ नीचे दिए जाते हैं। इनसे बहुत-सी बातों का पता लगता है-- सूचना १- यह सुचना देवताओं के प्यारे राजा पियदसी की आज्ञा से खुदवाई गई है। यहाँ इस पृथ्वी पर कोई किसी जीवधारी जन्तु को बलिदान अथवा भोजन के लिए न मारे। राजा पियदसी ऐसे भोजन में बहुत-से पाप देखता है। पहले ऐसे भोजन की आज्ञा थी, और देवताओं के प्रिय राजा पियदसी के रसोई-घर में तथा भोजन के लिए प्रति-दिन हजारों जीव मारे जाते थे। जिस समय यह सूचना खोदी जा रही है, उस समय उसके भोजन के लिए केवल तीन जीव अर्थात् दो पक्षी और एक हिरण मारे जाते हैं, और उनमें से हिरण नित्य नहीं मारा जाता। भविष्यत् में ये तीनों जीव भी नहीं मारे जायेंगे। सूचना २- देवताओं के राजा पियदसी के राज्य में सर्वत्र और सीमा- प्रदेश में रहनेवाली जातियों तथा चोलुपण्ड्य, सत्यपुत्र और केरलपुत्र के राज्यों में तम्बपन्नी तक, यूनानियों के राजा एनिट, ओकस और उसके आस-पास के राजाओं के राज्य में सर्वत्र
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