१३७ बौद्ध-काल का सामाजिक जीवन - (१४) अवन्ति की राजधानी माहिष्मती थी। (१५) गान्धार राज्य की राजधानी तक्षशिला थी । जोकि वर्तमान रावलपण्डी के पास थी। (१६) कम्बोज राज्य के विषय में मत भेद है। कुछ लोगों का कहना है कि वर्तमान तिब्बत ही कम्बोज राज्य था। ये सब राज्य आपस में लड़ा करते थे। राजनैतिक स्वतन्त्रता का भाव लोगों में फैला हुआ था । प्रत्येक नगर और ग्राम अपना प्रवन्ध अपने हाथों करते थे। उत्तर भारत में उस समय प्रजातन्त्र राज्य भी था। ये सब प्रजातन्त्र गोरखपुर आदि प्रान्तों में यानि बिहार में फैले हुए थे। इन सब में महत्वपूर्ण राज्य विदेह, लछवियों का राज्य है । विदेह और लछवी आपस में मिल गये थे । और मिलकर वह विज्जी कहलाते थे। शाक्यों का राज्य उत्तर से दक्षिण तक फैला हुआ था। उनकी राजधानी कपिलवस्तु थी। इनके कुल राज-काज एक-एक बड़ी भारी सभा के आधीन थे। प्रत्येक बूढ़े और जवान अपने राज्य के प्रवन्ध में भाग लेते थे । सब लोग एक सभापति को चुनते थे। वह राजा कहलाता था। विजियों के प्रजातन्त्र में आठ भिन्न-भिन्न जातियाँ सम्मिलित थीं। लछवी तीन लोगों को चुनकर उनके हाथ में राज्य सौंप देते थे। उनकी एक महासभा थी जिसमें कि सब लोग शरीक हो सकते थे। इन सभासदों की संख्या ४७०७ दी गई है। इस सभा के जो सभासद होते थे वह राजा कहलाते थे। वह केवल
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