पृष्ठ:बुद्ध और बौद्ध धर्म.djvu/१०९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

बुद्ध और बौद्ध-धर्म वह फुसम से किंचेन गया था। वह समय राज्य-क्रान्ति का था, इसलिये वह राजा से नहीं मिला , पर जब राज्य-क्रान्ति शान्त हुई, तब उसने वहाँ के नवीन राजा से भेंट की और फुसम से जो विचित्र वस्तुएं वह अपने साथ लाया था, वह सब राजा को अर्पण की। इन विचित्र वस्तुओं में एक चमत्कारिक वख भी था, जोकि मेक्सिको देश के आगुये नामक वृक्ष से तैयार किया जाता था । वह कपड़ा बिलकुल रेशम की तरह मुलायम था और इतना बारीक होते हुए भी, इतना मजबूत था कि यदि उसमें कोई वजनी चीज डालकर लटका दिया जाता, तो भी वह नहीं फटता था। एक और विचित्र चीज जो उसने राजा को भेंट कीथी,वह एक शीशा था। ऐसे शीशे मेक्सिको के सीमाप्रान्त वाले लोगों के पास भी पाये जाते हैं। राजा की आज्ञा से हुएनसाँग ने यात्रा का वर्णन लिखा है ! उसने बौद्ध-धर्म के सम्बन्ध में यों लिखा है- पहले फुसम के लोगों को बौद्ध-धर्म के विषय में बिलकुल जानकारी नहीं थी ; परन्तु ५वीं शताब्दि में सुंग-वंशीय राजा थामिन के शासन काल में ५ बौद्ध-भिन्नु काबुल से फुसम गये और वहाँ उन्होंने बौद्ध-धर्म का प्रचार किया । वहाँ के बहुत-से लोगों ने बौद्ध-धर्म की दीक्षा ग्रहण की; तभी से वहाँ के निवासियों के आचार-व्यवहार में सुधार हुआ । खुसुम वृक्ष के गुण, उसकी छाल से तन्तु निकालने का तरीका और तन्तुओं से वस्त्र बनाने का तरीका हुएनसाँग ने अपनी यात्रा के वर्णन में लिखा है। वहाँ के फलों का जो उसने वर्णन किया है, वह सब मेक्सिको के फलों