बुद्ध और बौद्ध धर्म १०० उसने बुद्ध का चरित्र लिखा है । यह कनिष्क की राज-सभा में रहता था। यह वह समय था कि जब ईसाई पादरी सेण्ट टॉमस भारतवर्ष में आया था और मारा गया था। ईसा के पूर्व दूसरी शताब्दि में कनिष्क द्वारा दो बौद्ध पुस्तकें काश्मीर से चीन के सम्राट के पास भेजी गई थीं। इसके पश्चात् दूसरे चीन सम्राट ने बहुत-से बौद्ध-ग्रन्थ भारतवर्ष से मंगाये और इसके बाद वहाँ बौद्ध-धर्म का खूब प्रचार हुआ,और चौथी शताब्दि तक वह चीन का प्रधान धर्म बन गया। चीन से सन् ३७२ ई० में बौद्ध-धर्म कोरिया में गया और वहाँ से ५५२ ई० में जापान में । कोनान, चीन, फारमूसा, मंगोलिया तथा अन्य स्थानों में-चौथी और पाँचवीं शताब्दि में चीन से बौद्ध- धर्म का प्रचार हुआ। काबुल धर्म थारकन्द, बलख-बुखारा तथा अन्य स्थानों में पहुँचा । नेपाल का राजा छठी शताब्दि में बौद्ध होगया, और तिब्बत के प्रथम बौद्ध राजाने भारतवर्षसे सन् ६३२ ई०में बौद्ध-धर्म ग्रंथ मंग- वाए । हम नहीं कह सकते कि इसके पहले तिब्बत में कौन-सा धर्म था। सबसे पहले संघपा नामक राजाने बौद्ध-धर्म ग्रहण किया और इसके बाद प्रजा ने । इस राजा के दो रानियाँ थीं ; एक चीन की और एक नेपाल की। दोनों ही बौद्ध थीं, इसलिये इसे बौद्ध बनने में कोई कठिनाई नहीं पड़ी। लेकिन इस समय तक भी तिब्बत की प्रजा जङ्गली थी। अतः सर्वसाधारण में बौद्ध-धर्म का प्रचार धीरे- धीरे हुआ। इसके पश्चात् संघपा राजा ने बौद्ध-धर्म के प्रचार के यह
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