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'महावग्ग। त्रिपिटक। 'बुद्धघोपकृत अट्ठकथा । 'म० म० डा० सतीशचंद्र विद्याभूपण कृत बँगला बुद्धदेव। . जिनतत्वप्पकसिनी (वर्मी भाषा)। विलियम कृत बुद्ध । डेविस कृत बुद्धिज्म । इनके अतिरिक्त उर्दू और अंग्रेजी में लिखे हुए बुद्धदेव के अनेक जीवनचरित्रों का मुझे पसंलोचन और अवगाहन करना पड़ा है। इस ग्रंथ के लिखने में मुझे वा देशवासी श्रीचंद्रमणि भिक्खु से विशेष सहायता मिली है जिन्होंने इस वर्ष के चातुर्मास्य में मेरे पास रहकर मुझे वी भाषा के अनेक ग्रंथों से सामग्री संग्रह करने में सहायता दी । इस ग्रंथ में मैंने महात्मा बुद्धदेव के बुद्धत्व प्राप्त होने पर उनके उपदेशों और प्रतिवत्सर के भ्रमण-वृत्तांतों को जहाँ तक उनका पता त्रिपिटक आदि से चलता है, दिया है। यह काम उक्त भिक्षुजी की कृपा का फल है। उनके इस अनुग्रह और श्रम के लिये मैं उनको अंतःकरण से धन्यवाद देता हूँ। ___ अंतिम प्रकरण में युद्धधर्म के सिद्धांतों का दिग्दर्शन कराया गया है । यह उनके उन उपदेशों का निचोड़ है जो मैंने कई वर्षों तक लगातार बौद्ध साहित्य के अवगाहन से निकाला है। इसमें मैंने अपनी ओर से कुछ नहीं लिखा है, मैं वरावर त्रिपिटक से गाथाओं को प्रमाण में उद्धृत करता गया हूँ । इसमें संदेह नहीं कि वर्तमान