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थीं। महाराज सिंहहनु के परलोक प्राप्त होने पर उनका बड़ा लड़का शुद्धोदन कपिलवस्तु के राज-सिंहासन पर बैठा। शुद्धोदन ने देवदह के महाराज सुप्रभूत की दो कन्याओं माया और प्रजावती का पाणिग्रहण किया तथा अपनी बहिनों अमृता और प्रमृता का विवाह देवदह के राजकुमार सुप्रबुद्ध और दण्डपाणि से कर दिया। इन्हीं शाक्याधिपति शुद्धोदन के घर महात्मा बुद्धदेव का जन्म हुआ।