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बुद्धदेव

शकवायुवरुणादयः सुराः
विक्रिया मुनिवरांश्च पत्कृते।
यांति तत्स्मर सुखं तृणायितं

यस्य कस्य न स विस्मयास्पदम् ॥


लेखक

जगन्मोहन वर्मा


१९२३.


दुर्गाप्रसाद खत्री द्वारा

भारतजीवन प्रेस, काशी में मुद्रित ।

दूसरा संस्करण]
[मूल्य १)