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( १७६ ) यह आचरण भला न लगा और उन्होंने उससम से भिक्ष ओं को अन्न कूटने का निषेध किया और बासी अन्न खाने पर प्राय- श्चित्त का विधान किया। . वर्षा ऋतु के समाप्त होने और नवीन अन्न उपजने परब्राह्मणों को अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण हुआ । उन लोगों ने भगवान बुद्ध- देव के पास जाकर क्षमा प्रार्थना को और अन्न वस्रादि से उनका और संघ का पूजन और सत्कार किया ।