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हुआ महाप्रजावती के पास आया और उन्हें लेकर भगवान् बुद्धदेव के पास पहुँचा । वहाँ महात्मा बुद्धदेव ने उससे अष्टांगिक धर्म के पालन की प्रतिज्ञा करने के लिये कहा जिसे उसने सहर्ष स्वीकार किया और वह अपनी साथिनियों समेत भिक्षुणी बनाई गई । यह महाप्रजावती पहली स्त्री थी जिसने उपसंपदा ग्रहण की।

महात्मा बुद्धदेव ने अपना पंचम चातुर्मास्य वैशाली नगर के पास कूटाराम में व्यतीत किया और वर्षा ऋतु के समाप्त हो जाने पर उन्होंने कार्तिक मास में राजगृह को प्रस्था किया।

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