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{ १०९ ) हे भिक्षुगण! वह कौन सी मध्यमा प्रतिपदा है जिसे तथागत ने साक्षात् किया है और जो वक्षुकरणी और ज्ञानकरणी तथा उप- शम, अभिज्ञा से बोध और निर्माण की ओर ले जानेवाली है ? बह यही अार्य अष्टांगिक मार्ग है । वह यह है-सम्यक्कमर्मत, सम्य- दं सो पन मितवे दुस्खनिरोध शरियरुच । यो तस्सायेब पहाय यदेविराग, निरोधो, पागो, पटिस्सग्गे, अति, समालो । इदं खोपन भिकावे दुकासनिधगामिनी प्रतिपदा परिवरुष्पं । भर. मेष अविसम्मगिको अग्गो। सेस्वयेदं सम्मादिवि सम्माका, सनावाचा, सम्माफम्मते, सम्भाधानीवा, सम्भायायामा, सम्भाति, सम्मा- समाधि। इदं सुपर परिवरुवाति मे मिक्स पुष्ये अननुस्सुतेसु घम्मेसु अतु पदपादि, भाग उपादि, पञ्ना उदपादि विमा उदपादि, आलोको यद- पादि । तेसो पनि सुक्ख परिवसध्वं परिष्यन्ति ने मिक्स पुग्ध अननु. स्तुतेषु एम्मेषु, पक् उदपादि, मासं उदपादि, पम्मा उदपादि, विन्धर एदपादि,पालोको उदपादि,। । इदं दुसगमुदयं परिवति मे भिलवे पुन्ये शनस्लवेसु शन्ने बल्लु 'उदधादि, मारा उदपादि, पन्ना उदपादि, बिया उदपादि, पालाको उद- पादित खो पगिदं दुसयमुदवं शरियसप पहातति में मिस्सये पुन्बे अनानुस्मुमु थम्मे पल्लु उदादि, भारां उदपादि, पञ्झा उपदादि, विना उपदर्शद, भालेपो-उपदादि। . दर्द दुल्सनिरोध रियति मे भिक्खधे पुग्ने अननस्सुवेसु धम्मेमु, आप उपपादिमाशं उपादि, पना उदपादि, विष्जा उदादि, पालोको सदादि । तेस पनिदं रखनिरोप धरियसच्चसक्सेवि से मिक्सवे घेतु अननुस्मुसु भन्मेनु, पद उदपादि, झारा उदपादि, प्रभा उदपादि, चिन्ता उदपादि, अलोलो लदपादित सो मनिदं दुक्खनिरोध प्रारियस- अचंति ने मिक्सवे पुष्ये अन्नुस्खनु सम्मेनु, यो उदपादि, मार्ग उदमादि, मा दपादि, विज्जा उदपादि, सालेदोर उदरदि।