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  • बीजक मूल .

जनक जड़। शेष सहस मुख फाना ॥ कहाँ लो। गनों अनंत कोटि लों । अमहल महल दिवाना ॥

ध्रुव प्रहलाद विभीपण माते । माती शेवरी नारी ॥

निर्गुण ब्रह्म माते वृन्दावन। अजहूँ लागु खुमारी ॥ 'सुर नर मुनि यति पीर औलिया । जिनरे पिया

  • तिन जाना ॥ कहैं कबीर Dगेकी शक्कर । क्योंकर

. करे बखाना ॥ १२॥ शब्द ॥ १३ ॥ राम तेरी माया दुंद मचावे । गति मति वाकी समुझि परै नहिं । सुर नर मुनिहि नचावै ॥ क्या सेमर तेरि शाखा बढ़ाये ।। फूल अनूपम वानी ॥ केतेक चातृक लागि रहे हैं। । देखत रुवा उड़ानी ॥ काह खजूर बड़ाई तेरी । फल कोई नहिं पावे ।। ग्रीपम ऋतु जब प्रानि तुलानी।। तेरी छाया काम न आवे ॥ आपन चतुर और कोई 1 सिखवे । कनक कामिनी सयानी । कहहिं कबीर सुनो हो संतो । राम चरण ऋत मानी ॥ १३ ॥