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  • वीजक नूल

शब्द ॥६॥ संतो अचरज एक भौ भारी | पुत्र धइल | महतारी । पिताके संग भई वावरी । कन्या रहल। कुँवारी ॥ खसमहि छाड़ि ससुर सँग गौनी । सो किन लेहु विचारी । भाई के सँग सासुर गौनी ।। सासुहि सावत दीन्हा । ननद भौज परपंच रों। । है, मोर नाम कहि लीन्हा । समधी के संग नाही ! आई । सहज भई घरवारी । कहहिं कबीर सुनो हो। संतो। पुरुष जन्म भौ नारी ॥६॥ ' शब्द ॥७॥ संतो कहाँ तो को पतियाई । झूठ कहत साँच बनि आई । लौके रतन अवेध अमोलिक । नहिं । गाहक नहिं साँई । चिमिक चिमिक चिमकै दृग, दहु दिश । अर्ब रहा छिरियाई ॥ श्राप गुरु कृपा । कछु कीन्हा । निर्गुन अलख लखाई ॥ सहज समाधी उन्मनि जागे । सहज मिले खुराई । जहँ । जहँ देखा तहँ तहँसोई । मन मानिक यो हीरा httyfeer