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२७ - aladalanumaaint

  • वीजक मूल

जासु नाम है गर्भ प्रहारी । सो कस गर्भहि । सके सहारी॥ साखी-कुल मादा खोयके । खोजिन पद निर्वान ।। अंकुर वीज नसायके । नर भये विदेही थान ॥ ३५॥ ई रमैनी ॥ ३६॥ { - ज्ञानी चतुर विचक्षन लोई । एक सयान सयान ! · न होई । दूसर सयान को मर्म न जाना । उत्पति परलय रैन विहाना ॥ वानिज एक सवन मिलि ठाना । नेम धर्म संजम भगवाना । हरि अस ठाकुर , तजियो न जाई । वालन बिहिस्त गावहि दुलहाई।। . साखी-ते नर मरिके कहां गये । जिन दीन्हा गुरु घोटि ॥ रामनाम निजुनानिकै । छाडिदेहु वस्तु खोटि ॥३६॥ रमैनी ॥ ३७॥ एक सयान सयान न होई । दूसर सयान न जाने कोई ॥ तीसर सयान सयानहिं खाई । चौथे । सयान तहाँ ले जाई ॥ पॅचये सयान जो जानेउ कोई । छठये मॉ सव गयल विगोई॥ सतयाँ सयान ई जो जानहु भाई । लोक वेदमों देउ देखाई ॥ ThakARAAMAAAAAAAAAfikik