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( ३६ ) बीजक कबीरदास । पुरुषके अंगनते भईहै । औपुनि भगवान्की नाभीमें कमल भयो। जो मंगल में कहिआये हैं, तेहिते ब्रह्माभये हैं तिनतें उत्पत्ति भई है । औ तैनै बात या रमैनहूिं में कहै हैं कि पहिले इच्छा रूपी नारीते ब्रह्मादिक भये । औ पुनि ब्रह्माण्डांतरानुवर्ती ब्रह्मादिकभये ते सतोगुणाभिमानी जे विष्णुते ऊपर देवलोक बसावतभये ते ताके मालिक । और जो गुणाभिमानी जे ब्रह्माते मध्यके लोक बसाये ते तहांके मालिक । औ तमोगुणाभिमानी जे महादेव ते नीचे लोक बसाये तहांके मालिकं होतभये । सो येतीनौ तीन लोकके मालिक होत भये सोये तीनौं तीन लोकके मालिक हैं परंतु तैन तौन लोकनकी प्रधानता देखाई है ॥ ४ ॥ तेपुनिरचिनिखंडब्रह्मडा। छादर्शनछानवेपखंड ॥ ६ ॥ पेटहिकाहुनवेदपढ़ाया । सुनतिकरायतुरुकनहिंआया॥६॥ तेतीन देवता मिलिकै ब्रह्मांड में छा दर्शन छानबे पाखंड बनावत भये । * योगी जंगम सेवरा संन्यासी दुरवेश । छठयें कहिये ब्राह्मण छाघर छाउपदेश ॥ दशसंन्यासी बारहयोगी चौदहशेष बखाना । बौध अठारहि जंगम अठारहि चोबिस सेवरा जाना ॥ औ प्रथम उत्पत्तिमें कहि आये हैं ब्रह्मा विbणु महेश ते यह ब्रह्मांडके ऊपर अपने लोक बसाये फिरि एक २ अंशते अनंत कोटि ब्रह्मांडन में बसे जाय ५ औ पेटैते कोऊ वेद नहीं पढ़ि आया कहे गायत्री नहीं पढ़यौ बरुवा नहीं भयो औ न पेटैते सुनति करायकै तुरुक बनिया है ताते_हिन्दू तुरुकको जीव एकइहै सोतो ना जान्यो वेद किताब की बाणी सुनिकै अपने २ कर्मते सब अनेक भेद द्वैगये वैद किताबको भेद न जान्यो ॥ ६ ॥ नारीमोचित गर्भप्रसूती । स्वांगधरै वहुतैकरतूती ॥ ७ ॥ तहियाहमतुमएकैलोहू । एकैप्राणबियापलमोहू ॥ ८ ॥ गर्भबासमें जबतुम रहेहो तब न हिन्दूए रह्योहि नातुरुकरह्यो न वेद पढ्यो नं तिहारी सुन्नति भई । जब गर्भते निकसे तब कर्म करिकै हिन्दू मुसलमान द्वैगये । बहै नारी जो है वाणी ताही में चित्त लगायकै कर्म कारकै नाना