यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

रमैनी।। | (३५) अविगतिकीगतिकाहुनजानी।एकजीभकितकहौंबखानी ११ जोमुखहोइजीभशलाषा तौकोइआयमहंतौभाषा॥१२॥ साखी ॥ कहहिंकबीर पुकारिक, ई लेऊ व्यवहार ॥ एक रामनाम जानेविना, भव बुडि मुवा संसा॥१३॥ अंतर ज्योति शब्द यक नारी।हार ब्रह्मा ताके त्रिपुरारी॥१॥ अन्तरज्योति कहे वह ज्योतिके अन्तरकहेभीतरै नारी जॉहै गायत्रीरूपबाणी सो शब्द जो है राम नाम ताको लैकै प्रगट भईहै सो मङ्गळमें कहि आयेहैं । तौने शब्दकी शक्तिते तानारीके हार ब्रह्मा त्रिपुरारी भये हैं । अर्थात् रामनामको जगत् मुख अर्थ लैकै वहै बाणी रूप नारी वेद शास्त्र औ सब संसार प्रगटकियो रामनाममें ये सब भरे सो मैं अपने मंत्रार्थमें लिख्यो है। सो राम नाममें जो साहब मुख अर्थहै ताके छिपाय दियो ॥ १ ॥ तेतिरियेभगलिंगअनंता । तेउनजानैआदिउअंता ॥ २ ॥ | तौन जो है तिरिया ताते अनंत भग लिंग होत भये अर्थात बहुत स्त्री पुरुष भये ते अनेक शास्त्रनमें अनेक वेनमें बिचार करत २ थके तबहूं वह राम नामके अर्थको अन्त न पाये ॥ २ ॥ बखरीएकविधातेंकीन्हा । चौदहठहरपाटिसोलीन्हा ॥३॥ एक बखरी यह ब्रह्मांड ब्रह्मा बनावत भये सो चौदह ठहर कहे चौदह भुवन कारकै पाटि लेते भये ॥ ३ ॥ हरिहरब्रह्ममहंतौनाङ । तेपुनितीनिबसावलगाऊ ॥ ४ ॥ ॐ हर हर ब्रह्मा जौन ब्रह्मांड प्रथम ब्रह्मा बनायो है वोही ब्रह्माण्ड में तीनि गांव बसावत भये तहांके मालिक होत भये औ जे प्रथम ब्रह्मादिक देवता भये हैं तेई ब्रह्मादिकनके अंगनके देवता होतभये । सो मङ्गलमें लिखि आयेहैं ब्रह्मादिकनकी उत्पत्ति औपुनि भगवान्की नाभीमें कमल भयो तेहिते • ब्रह्माभयेहैं तिनते उत्पत्ति भई है औ ब्रह्मवैवर्तमें प्रथम ब्रह्माकी उत्पत्ति प्रकृति