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बघेलवंशवर्णन । (७११) सुवरण वृष्टि पै न कीनी कोऊ आजु तक जैसे करे वारि वृष्टि भादौं मेघ खासी है। भूप विश्वनाथको अनूप तनय रघुराज जैसी जातरूप वृष्टि कीनी पुरी काशी है १ घर घर वाट वाट गंगाजूके घाट घाट हाट हाट भाटहीं सों भौर्षे जन राशी है॥ पंडित अखंडित की कीनीसभा मंडित ना रेसी कोऊ भूपति उदंडित विकाशी है॥ कहैं युगलेश रहि गये ना कलेशलेश याचक अशेषको विदेश देश वासी है ॥ हम तुला भासी महाराज रघुराज यशी खासी कीर्ति अतुला प्रकाश पुरी काशी है भूपर घनेरे एक एकते बडेरे भूप भये हैं अनूप पै न ऐसी कोउ कीनी है ।। जैसी करी महाराज विश्वनाथ तनय यह महाराज रघुराज मोद उर भीनी है ॥ काशीपुरी असी गंग संगम निकट तट चर्दिकै हिरण्य तुला पुण्यकै अक्षीनी है। कहे युगलेश देश देशके नरेशनकी जाईवो महेशपुरी राह रोकि दीनीहै ॥ ३ ॥ केते भूमिपाल भये भारी राज्यवारे भूमि केतको दिवान बड़े दानी सत्यसिन्धहैं ॥ आय आय काशीपुरी लाय लाय द्रव्य भूरी दैकै विप्र वृन्दनको पोष्यो पंगु अंधुहै। पैन ऐसो भयो जौन हेम रौप्य तुला चढ़ि दान अतुलाकै छावै सुयश सुगन्धुहै ॥ राजा रघुराज राजे की तो या जमाने मध्य की देवान ताको श्रीदिवान दीनबंधुहै४॥ कुंडलिया-सुवरण वृष्टि करी उतै, काशी नृप रघुराज ॥ तेहि प्रभाव तिहिं देशघन बरसे वारिदराज ।।। वरसे बारिदराज सकलमें भयो सुभिलै ॥ रह्यो न लेश कलेशवेश मिटिगो दुर्भिक्ष ॥ भिक्षे मगत रहे रंक जे घर घर कुवरन ॥ तेऊ पाय अनाज भूरि वैगे तलु सुवरन ॥ १ ॥ दोहा-महाराज रघुराजको, दृढ़ विश्वास य ।। तेहि प्रभाव सुखसाज सज,सुकर दराज काज ॥१८॥ | कवित्त । जोधपुर महाराज राज्यहै दराज जाहि राज काज ऐशही में बात दिनरैन है ॥ साहिबी सुरेशसी धनेश ऐसी मौन समै तेजमें दिनेश वेश विलसति शैनह॥ मैनकीसी मूरति मनोहर तखतसिंह बखत बुलन्द निरखत करै चनैहै । जाके उर ऐने युगलेशकहूं लेस मैन देखे बने नैन वैन कहत बनैनहै ॥ १ ॥