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बघेलवंशवर्णन । (७०७) ज्वर विकारते यक समय, नृप किय विपुल उपास ॥ तज्यो न तव जप करव, पूजन रमनिवास॥९६॥ बालहिते कविता मन लायो । चित्रकूट अष्टकहि बनायो । ग्रंथ रच्या रघुनंद बिलासा । हनुमत शतक कियो सहुलासा ॥ लीन्ह्यो मंत्र केर उपदेशू । तब जे ग्रंथ रच्योहै वेशू ॥ तिनको अब मैं देत सुनाई । विनयमाल दिय प्रथम बनाई ॥ रुक्मिणि परि पय विरच्यो ग्रंथा । जामें विदित काव्यकी पंथा ॥ व्यासदेव जो रच्या पुराना । श्रीभागवत प्रसिद्ध जहाना ॥ भाषा : विरच्यो भूप उदारा । अहै बयालिस जौन हज़ारा ॥ पुनि जगदीश शतक किय भाषा । जामें कवित. बिचित्र सुराषा ॥ दोहा-रच्यो संस्कृत ग्रंथ विय, एक शतक जगदीश ॥ कियो सुधर्म विलास यक, श्रीरघुराज महीश ॥९७॥ तिलक बनायो तासु बुध, रंगाचारी वेश ॥ भजन कवित और अमित, सादर रच्यो नरेश ९८॥ सोरठा-कानन जात शिकार, खेलत मारत शैरको ॥ औरंजे जीव अपार, तिनाहं बचावत करि दया॥१॥ कवित्तघनाक्षरी।। फेरत न आनन जो ऐसे उच्च वारनपै द्वैकार सवार जाय नेर वेर वेरहै ॥ ढेर सरदार पै न सकत उठायकोऊ ऐसो लै रफल्ल घालि करै बाघ जेरहै । कहैं युगलेश गेर गेर कहूँ टेर टेर ह्वांई ठहराय जहां हौंकत करेरहै ॥ हेर हेर मारै लगे देर नहीं दौरिमेर भूप रघुराजसिंह शेरन पै शेरहै ॥ १ ॥ सोरठा-चलि पहाड़ महराज,बागि बागि जेहिं बारिमें ॥ हने जिते मृगराज, ते गोकुल बुध पहँ लिखे ॥ १ ॥ दोहा-महाराज रघुराजको, औरहु चारु चरित्र ॥ युगलदास वर्णन करत, जेहि यश छयो विचित्र ॥९९॥ शाह विलायतको दियो, सुक्का यक पठवाय ॥ लाट वजीर हमारसो, तकमा देहे आय ॥२०॥