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अथ साखी ।

जहिया जन्म मुक्ता हता, तहिया हता न कोइ ॥ छठी तिहारी हो जगा तू कहँ चला विगोइ ॥ १॥ गुरुमुख ॥ जीवसों साहब कहे हैं जहिया कहे प्रथम जब तुम जन्मते मुक्त रह्योहै कहे जन्ममरणते छूटे रह्योहै तहिया कहे तब हता न कोयकहे ये मनादिक नहीं रहे । जो जहिया जन मुक्ता हता या पाठहोय तो साहवर्क है हैं कि हे जन हमारे दास जब तुम मुक्त रह्यो है तब ये मनादिक कोई नहीं रहे। अरु बिज्वर गुणातीत चिन्मात्र मेरो अंश सनातनको या स्वरूपते रह्यो है । छठई देइ हमारे पास है तू कहां विगरो जाइ है मनादिकनमें लगिकै तें कैवल्य शरीरमें टिकिंकै हमारे प्रकाशमें स्थित रहै हमको नहीं जाने याहीते माया