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बेलि। | (६१६) ई तो है विधि भाग हो रमैयाराम ।। गुरुदीन्ह्यो मोहिं थापि हो रमैयाराम ॥ ३ ॥ गोबर कोट उठायडु हो रमैयाराम ।। परिहार जैहो रखेत हो रमैयाराम ॥ ४ ॥ साहब कहै हैं कि रामनामके रमनवारे यहस्मृति बिधि निषेधका भागकहावै है तीन भागबश मोको गुरुवा लोग बहँकाइ दियो मैं काक मेरोदोष कौन है तौ हमारो महल छोड़ि तहीं गोबरको कोट उठायहुई जो तें गुरुवालोगनके न जाते और उपासना न पूछते तो वे काहेको बतौते सो मोको परिहरिकै नैं संसाररूप खेत में जाय है जहां सब उत्पत्तिहोइहै ॥ ३ ॥ ४ ॥ बुधि वल तहां न पहुंचे हो रमैयाराम ।। खोज कहते होय हो रमैयाराम ॥ ६ ॥ सुनि मन धीरज भयल हो रमैयाराम । | मन वढिरहल लजाय हो रमैयाराम ।। ६ ।। सो धोखोब्रह्म में बुद्धि बल नहीं पहुंचे है शून्य है खाज कहां ते होई । जो कहो कि आपै में तो बुद्धि बल नहीं पहुंचै है तौ जो कोई मेरे रामनाममें रमैहै। मोको जानै है ताकामही बताइ देउँ हौं नयनइन्द्रिय देउँह ताहीमें मोहीदेखे हैं। ॥५॥ गुरुवनकी बाणी सुनिकै जो तेरे मनमें धैर्य भयो कि हम ब्रह्म है नाइँगे सो हे राम में रमन वारे वा ब्रह्ममें मन बढिकै कहे बिचार करत करत लजाय गयो ब्रह्म न भयो मन आपनी गति जब नहीं देखे है तब सकुचिकै वाही में रहिनाइहै मनको नाश नहीं होयहै ॥ ६ ॥ फिर पाछे जनि हेरौ हो रमैयाराम । काल बूत सब आय हो रमैयाराम ॥ ७॥ कह कबीर सुनौ संतौ हो रमैयाराम । मात ढिगही फैलाव हो रमैयाराम ॥ ८ ॥