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(४९६) बीजक कबीरदसि । सबके जामा जे शरीर ते जात देखे हैं ताते रामनाम भजु । भनसे दायः धातुहै ताते तहूं रामनामकी सेवा करु तबही संसार समुदकै तीरलगैगो नहीं तो बहि जायगो । रामनामके जंपैया नहीं मरै हैं तामें प्रमाण कबीरजी को पद ॥ “हम न मरें मार है संसारा । हमको मिला जियावनवारा ॥ अबनामरौंमारम: नमाना । सोइ मुवा जिन राम न जाना । साकतमरै संतजन जीवै । भरिभरि रामरसायन पावै ॥ हार मरिहैं तौ हमहूं मरि हैं। हरि न मेरै हम काहेको मरि हैं । कहे कबीर मन मनहिं मिलावा । अमर भये सुख सागर पावा ॥ १-७॥ इति नवाँ बसंत समाप्त ! अथ दशव बसंत ॥ १० ॥ सवहीमदमातेकोईनजागासोसँगहिचोरघरमुसनलाग ।।३।। योगीमदमातेयोगध्यान । पंडितमदूमातेपढ़िपुरान ॥२॥ तपसीमदमातेतपकेभेव । संन्यासीमातेकरिहमेव ॥३॥ मोलनाममातेपढ़िमुसाफाकाजीमदमातेकैनिसाफ ॥ ४॥ शुकदेवमतेऊधाअकूर । हनुमतमदमातेलियर्लंगूर ॥६॥ संसारमत्योमायाकेधार। राजामदमातेकारहँकार ॥ ६ ॥ शिवमातिरहेहारचरणसेव । कलिमातेनामदेवजयदेव ।।७।। वहसत्यसत्यकहर्स्मृतिवेद। जसरावणमारेघरकेभेद ॥ ८॥ यहचंचलमनकेअधमकामासोकहकवीरभजुरामनाम ॥९॥ यहि पदको समेटिके अर्थ करै है यहसंसारमें सबकोई मदमे माततभयो, नागतकोई न भयो । सो जिनको जिनको यह पदमें गनायआये तेते प्रथम जैसे रावण घरके भेदते मारे गयो, तैसे मनके भेदते मारे गये । परन्तु इनसबमें जे रामनामको जप्यो तेई छूटै हैं । हनुमदादि शुकादि जे कहिआये । यह मनके तो अधम काम हैं जे रामनामको नहीं जाने ते संसारहीमें परे । ताते हैं हूँ रामनामको भजु तबहीं तेरो उवार होइगो, औरीभांति संसारहीमें परेरहैगो । १ इनसाफ को पूर्वी भाषामें निसाफ बोलते हैं इसका अर्थ है न्याय । २ स्मृति है