________________
(३९६) बीजक कबीरदास । मका तहां अल्लाहको बास है ताही ओर मुसल्मान निमाज़ गुजरे हैं। सो याते काह भयौ ? आपने दिल में खोज कैकै तौ देखत्रै न कियो कि, करीम ने खुदा राम ने रामचंद्र ते दिलहीमें हैं हिंदू तुरुक दोउनमें वोई हैं ये तो शरीर आय साहब एकई है या न जानै तौ काहभयो ॥ ५॥ मुसल्मान लोग या मानै हैं खोदाय मसजिद में वसतु है और हिन्दू मानै हैं कि रामचन्द्र मूर्ति औ तीर्थ में बसै हैं याते काह भयो ? काहेते दुइ में या बात कोई न बिचारे कि, और मुल्क में को बसै है सो सर्वत्र साहिबही पूर्ण है यहै न जानने ते सब आपने आपने पक्षमें लगे हैं ॥ ६ ॥ वेद किताब कीन्ह किन झूठा झूठा जो न विचारै। सब घट एक एक करि लेखै भय दूजा करि मारे॥७॥ वेद वाले किताबको झूठाकई हैं, किताब वाले वेदको झूठाकहै हैं सो या कहा झूठाहै इनको को झूठ करिसकै है। झूठा वही है जो इनको नहीं बिचौरै है कि, वेदकिताबको यही सिद्धांत है साहब सर्वत्रपूर्ण है हिंदूके याँहै कि, सबनाम साहिबहीके हैं ॥ * सर्वाणि ना मानि यमाविंशतिइति श्रुतिः ॥ औमुसल्मानके 4 जामैनमीलिफात जामै जमीअसमात यह कलामुल्लाके किताबमें लिखे है सो घट घट में चित्त स्वरूप जीव एकही है सबके साहब रामचन्द्रही हैं; तिनको एक करि ले खै भय दूसरेते होय है ताको मारै सो यातो बिचारबै न कियो तौ काह भयो ॥ ७ ॥ जेते औरत मर्द उपाने सो सव रूप तुम्हारा ।। कबिर पोंगड़ा अलह रामको सो गुरु पीर हमारा ॥८॥ सो कबीरजी के हैं कि, जेते औरत औ मर्द उपाने कहे उपजे हैं ते सब तुम्हारे रूप में काहेते कि, चित् जो तुम्हारो विग्रहहै ताही ते जगत् है । औ कबिर कहे कायाके बीर जे जीव ते हे अल्लाह राम तिहारे जीवनके पोंगड़ा । हैं अर्थात् तुमहीं घट घट में बोलत हौ, तुमको जानिबेको इनके कुदरति नहीं है चाही तुम उपदेशकर आपनेमें लगावो चाहौ गुरुपीर द्वारा उपदेश