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                        रमैनी ।

(३७)

रमैनी ॥ धोखाप्रथमपरखियेभाई ॥ नामजातिकुलकर्मवड़ाई 

क्षितिजैल पवक भैरुतअकाश ॥ तामहपंचें विषयपरकाश।।

तत्व पाँचमेश्वासासार ॥ प्राणअपानसमान उँदार ॥ औरब्यानबावनसंचार ॥ निजानेज थैलनिज कारजकार ॥ इंगला पिंगला औ सुखमनी ॥ इकइस सहस्र छौसत सोगनी ॥ निगमै अंगम सो सदा बतावे ॥ श्वासासारसरोदा गावे ॥ साक्षी ॥ धोखा अंधेरी पथके, याविधिभथाशरीर ॥ कल्पेउकारताएक पुनि, बढीकर्मकी पीर ॥ ५॥ रमैनी । योग्य जप तपध्यानअलेख ॥ तीरथ फिरतधरेवहुभेख ॥ योगी जंगमासद्धउदइस }} घरको त्यागि फिरेबनबास ॥ कॅन्द मूल फैल करतअहार । कोइकोइ जटाधरे शिरभार ॥ मनमलान मुखलायेधूर ॥ आगे पीछेअग्नि सँर ॥ नग्नहोयनर खोर नफिरे ॥ पीतरपाथरमॅशिरधरे । साक्षी ॥ कालशब्दकेसोरते, होरपरीसंसार ॥ देखा देखीभगिया, कोईनकरे विचार ॥ ६॥ रमैनी ॥ जब पुनिआयखसी यह बँनि ॥ तबपुनिचित्तमाकियो अनुमानि ॥ नहीं ब्रह्म कत्तजगकेर ॥
॥ ३४ अग्नि ३३ पृथ्वी ३५ वायु ॥ ३६ शब्द आकाश का विषय स्पर्श वायुका ॥ रूप अग्नि का रसजलका गंध पृथ्वीका ३७ उदान ॥ ३८ स्थान॥ ३९ शास्त्र ॥ ४० वेद ॥ ४१ अविद्या अज्ञानता ॥ ४२ दुख ॥ ४३ जो पृथ्वी के नीचे होता है जैसे आलू शकरंद केसउर फर इत्यादि ॥ ४४ जो मूल से होता है अर्थात् काठ फोड कर जो निकलता है जैसे कट हल; गूलर इत्यादि ॥ ४५ जो फूल से पैदा है जैसे ऑब ( केरी ) अमरूद (नामफल) इत्यादि ॥ ४६ सूर्यं ॥ ४७ बेशर्म ॥ ४८ शोर हल्ला ॥ ४९ फिर ॥ शब्द् ॥ ५० ॥