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।' श्रीः । र श्रीमान् गो ब्राह्मण प्रतिपालक, बघेलकुलतिलक, अवनीश, बान्धवेश, रीवाँधिपति, प्रजामिय, धर्मपरायण, सिद्धि श्रीमन्महाराजाधिराज श्री १०८ श्रीमहाराज श्रीसीताराम कृपापात्राधिकारी श्रीसर्वेङ्कटरमण रामानुन प्रसाद सिंहजू देव बहादुर ( जी. सी. एस. आई.) के कर कमलेंमें श्रीमानकी मुझ अकिञ्चनपर पूर्ण कृपा है । श्रीमान् । सच्चे देशहितैषी, धर्महितैषी, जातिहितैषी, और हिन्दीहितैषी हैं । श्रीमान्का सनातन धर्म पर अनुराग वंशपरम्परासे चला आता है । श्रीमान्के पूर्वजोंमें अच्छे २ कवि, अच्छे २ शासक, ॐ और अच्छे २ धर्मनिष्ठ होगये हैं । इसप्रकारके अनेक सद्भुणों से मुग्ध होकर श्रीमानके पितामह श्रीसाकेतवासी श्रीमनु महाराजाधिराज श्रीमहाराज श्रीविश्वनाथ सिंहजू देव बहादुर विरचित श्री कबीर साहबके बीजककी पाखण्डखण्डनी टीका जो श्रीमान्कीही आज्ञासे छापी गयी है. श्रीमान्हीके करकमलोंमें अत्यन्त नम्रतासे ३ परम सम्मान पूर्वक अर्पण करता हूँ । अर्पण क्या करताहूँ आपकीही वस्तु आपकी सेवामें रखकर कृपाकी अभिलाषा करताहूँ। श्रीमानका विनयावनतसेवक-खेमराज श्रीकृष्णदास, * श्रीवेङ्कटेश्वर ) ( स्टीम् ) यन्त्रालयाध्यक्ष-बंबई. E uX7