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(२३८) बीजक कबीरदास । ते ब्रह्माते कह्यो कि,जगत् बनावो,तब बनावतभये।नारायण ने रामावतार लेइ हैं। तामें प्रमाण 4 यदास्वपार्षदौनातौराक्षणप्रवरौप्रिये । तदानारायणः साक्षादामरूपेणजायते ॥ प्रतापीराघवसखा भ्रात्रावै सहरावणः । राघवेणतदासाक्षात्साके तावतीर्यते ॥ नारायण अंत न पायो ते नारायण रामचन्द्र क्षीरशायी श्वेत द्वीप निवासी बहुत हैं जिनकेगुण को अंतकोई नहीं पावैहैं । अरु जिनके गुण सबके गुणते न्यारे हैं ते श्रीरामचन्द्र एकई हैं । औ केतकान्ह मुरलीधर भये तिन भी अंत नहीं पायो काहेते कि उनके अनंत गुणहैं ॥ २ ॥ मत्स्य कच्छ वाराह स्वरूपी वामन नाम धराया। केते बौद्ध भये निकलङ्की तिनभी अंत न पाया ॥३॥ केतिक सिद्ध साधक संन्यासी जिन वन बास बसाया। केते मुनिजन गोरख काहिये तिनभी अंत न पाया ॥४॥ औ केतन्यो मत्स्य कच्छ बाराह वामन बौद्ध कलकीरूप भये तिनभी अंतनहीं पाया सोई अवतार जो कहिये तिनमें बामन नरसिंह आदिक अवतार आइगये तेऊ अंतनहीं पायो है॥३॥औ केतन्यो सिद्ध साधक संन्यासी भये ने बनमें वासकरतभये है केतन्यो मुनि गोरख इंदिन के रखवार भये तेऊताको अंत नहीं पायो ॥ ४ ॥ जाकीगति ब्रह्मेनहिं पाई शिव सनकादिक हारे। ताके गुण नरकैसे पैहौ कहै कबीर पुकारे ॥६॥ औ जाकी गति ब्रह्मा शिव सनकादिक नहीं पायो काहेते कि, तिनके अनंत गुर हैं सो हे नर! तुमकैसे पावोगे ? ने गुरुवनके कहे कहौहौ कि महीं राम हौं सो मिथ्या है वे रामके गुण न तुम्हारे गुरुवा पायो है न तुम पावोगे । ब्यंग यहहै कि, ते वे पाखंडी गुरुवनको संगछाँड्रिकै रामोपासकनको संगकरौ तब जैसी भजन क्रिया वे कैरै सो करिके निर्गुण सगुणकेपरे साहबके लोकजाउ, तर तिहारो जनन मरण छूटैगो । ये गुरुवालोग जौनेमें सिद्धांतकरि राखे हैं ते सब याही कैतीहै निर्गुण सगुणमें है औ परमपुरुष पर साहबको लोक सबके परहै तामें प्रमाण कबीरजीको रेखता झूलनाछंद पिंगळमें कहै हैं ॥ ** चला