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अथ शब्दःप्रारभ्यते। पहलाशब्द ॥ १ ॥ संतौ भक्ति सतगुरु आनी । नारीएक पुरुषदुइ जाये बूझोपंडितज्ञानी ॥ १॥ पाहनफोरिगंगयक निकरी चहुंदिशि पानीपानी। तेहिपानी दुइपर्वतबूड़े दरियालहरि समानीं ॥२॥ उड़िमक्खी तरुवरके लागी बोलै एकैवानी ।। वहिमक्खीके मक्खानाहीं गर्भरहा बिनपानी ॥ ३॥ नारीसकल पुरुषवहिखायी ताते रहेउ अकेला । कहै कबीर जो अबकी समुझे सोईगुरु हमचेला ॥४॥ सन्तौभक्तिसतोगुरुआनी । नारीएकपुरुषदुइजाये बूझोपण्डितज्ञानी ॥१॥ हे सन्तो ! हे जीवौ ! तुमतो शांतरूपहौ । गुरुजे हैं सबते श्रेष्ठ परम पुरुष श्रीरामचन्द्र तिनकी सतोकहे सातो जे भक्ति हैं ते आनी कहे आनई हैं अर्थात सगुण निर्गुणके परे मनबचनके परे है कौन सातभाते हैं ते है हैं 4 शांत ११ प्रथम ताकर बैभेद १ सूक्ष्मा २ सामान्या । सो शांतिके सूक्ष्माके साम न्याके जुदे जुदे लक्षण हैं ताते तीनि भक्ती ये हैं । औ १ दास्य २ सख्य ३ वात्सल्य ४ शृङ्गार चारि येमिलाय सातभाते भई । सोई जे हैं सा तौ रसहैं ते मन बचन में नहीं आवै हैं जब प्राप्तिहोइहैं तबहीं जानिपैरैहै कि ऐसे हैं ।