बीजक कबीरदास । पूर्व कहिआये कि कै रामरखवारी करै हैं सो मैंहींहैं तिहारो पति तुम मोमें लगै नातेतुम्हारो उबार द्वैजाइ तिनके तुमपति मानिराख्येहै ते तुम्हारे पति- नहीं हैं वे बांधने वारे हैं ॥ ४ ॥ इति साठवीं रमैनी समाप्ती । अथ इकसठवीं रमैनी । । चौपाई। धर्मकथा जो कहते रहई । लवरी नित उठि प्रातै कहई॥१॥ | लवरिविहानेलवरीसाँझा । यकलावरिवसत्दृयामाँझा॥२॥ रामकुंकेरमर्मनहिं जाना । लै मति ठानी वेद पुराना ॥३॥ वेदहुकेर कहानहिंकरई । जरते रहै सुस्त नहिं परई ॥४॥ साखी ॥ गुणातीतके गावते, आपुहि गये गाय ॥ माटीतन माटीमिल्यो, पवनहि पवन समाय ॥ ६ ॥ धर्मकथाजो कहतैरहई । लवरीनितउठि प्रातैकहई ।। १ ॥ धर्म की कथा जो कहतई रहै हैं कि स्त्री अपने पतिही को जाने और दूसरे को पतिकारि न जानै परन्तु धर्म कछूजानै नहीं हैं धर्म कहां है कि जीब यह साहबकी शक्तिहै याके पति साहव हैं तामें प्रमाण । “अपरेयमितस्त्वन्यप्रकृति- विद्धिर्मपराम्। जीवभूतांमहाबाहो ययेदंधायैतेजगत् ॥ इतिगीतायाम्। “वासुदे- वःप्रमाणैकःस्त्रीप्रायमिदं जगत् ॥दूसर कबीरजीका प्रमाण॥ ‘दुलहिनगावोमंगल- चार । हमरेघरआयेरामभतार ॥ तनरतिकार मैं मनरतिकरिहौं पांचौतत्वबराती । रामदेवमोहिंब्याहनऐहैं मैंयौवनमदमाती ॥ सरिरसरोवरवेदीकरिहौंब्रह्मावेदउचा- रा । रामदेवसँगभांवारिलेह धनिधनिभागहमारा ॥ सुरतेतीसौकौतुकआयेमुनिवर- सह्सअठाशीं । कहेकवीरहमब्याहिचलेंहैं पुरुषएकअबिनाशी ॥ तेसाहबको या नींद नहीं जाने हैं औरऔरमें लगे है बड़े प्रातःकाल उठिकै लवरी कई है कि इमहीं राम हैं दूसरो नहीं है अथवा जीव जन्म लेइहै सो प्रातःकाल है नव
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बीजक कबीरदास ।