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रमैनी। ( १०३) कठिन है काहेते कि जो अहंब्रह्मास्मि मान सबै कर्मनको त्यानिदियो औ दूसरी बुद्धिन गईतौ पतितद्वै नाय है । तामें एक इतिहास।एकराजाके गोहत्यालगी से हत्याआई तब राजाकह्यो कि सर्वत्र ब्रह्मही है हमहूं ब्रह्म हमको हत्याकाहेको लगैगी हाथके देवता इन्द्र सो इन्द्रही को लगैगी इत्यादिक जवाब देतभयो तब वहहत्या रानाकी बेटीके पासगई सो वो शृंगारकरि रानीके पलंगमें परिरही तहां राजाआये कन्याको परी देखी तब कह्योकि तू कहापरीहैं। तब कन्याकह्यो जैमेरानी तैसे मैं ब्रह्मतो एकही है तब राजा उंलटिचले हत्या राजाके शिरमें चढिबैठी । या भांति ज्ञानकाण्डहूको तात्पर्य निवृत्तिहीमें है कि जौनसरल उपाय वेद तात्पर्य वैकै बतौवैहै कि भनादिकन को छौड़कै रामनामकोनपै साहबको वैजाय तौमुक्ति द्वैजाय तामें प्रमाण ॥ { दापरान्ते नारदब्रह्माणं प्रतिजगाम कथेनु भगवन् गांपर्थ्यटन्कलिंसंतरेयामति । सहोवाच भगवत आपुरुषस्यनारायणस्यनाम्नेति नारदःपुनःपप्रच्छभगवतःकिंतन्नामेतिसहोवाच हरेरामहरेरामरामरामहरेहरे श्रुतिः ॥)आदिपुरुष भगवान् नारायणके नामहैं उद्धार करनवारे सो नारायणनाम सुनावहू कियो औ पूछयो कि कौननामहैं तब रामनामको बतायो तेहिते उद्धारकर्त्तारामनामही है पुनि स्मृतिहू कहै ॥ सप्तकोटिमहामंत्राश्चित्तविभ्रमकारकाः । एकएवपरोमंत्रीरामइत्यक्षरइयम्।। ताते वेदको तात्पर्य कर्मकांड उपासनाकांड ज्ञानकांड तीनोंके त्यागमें है। साहबकेमिलायबेमें हैतामें प्रमाण ॥“सर्वेवेदायत्पदःमामनंति इतिश्रुतेः । ॐ क. बारजीहू कह्यो है कि वेदकोअर्थ उलटिकैकहे तात्पर्यते समुझैतातौने अर्थ वेद सचिहैं अपरोक्ष अर्थतौझूठो है तामें प्रमाण दौड़धूप सबछोड़ो सखिया, छोड़ो कथापुरान । उलट वेदका भेदलखौ, गहि सारशब्द गुरुज्ञान॥ दूजोप्रमाण ॥ आसन पवन किये दृदृरहुरे । मनको मैल छांड़िदेबौरे । काशृंगीमूड़ा चमकाये। क्या बिभूति सब अंगलगाये ॥ क्याहिंदूक्या मुसलमान । जाको साबित हैं। इमान॥क्याजो पंढ़ियावेदपुरान । सोब्राह्मणबूझैब्रह्मज्ञान ।। हैकबीर कछुआननकीने । राम नामजपलाहालीजे ॥ सोस्मृतिमें जोतुमको नानाअथ भासमान होय है सोई बंधनरूपनेवर करमें लेते आई है सो वा जेवर तुम्हारही बरी है ॥ १ ॥