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रमैनी। (९९ ) मुक्त हैजाय। औ तिनके लोकमें जाय सुख पावैहै । वास्तव एकही नाम भेदसे और और कहैंहै या भांतिते जे ज्ञान राखे तिनके ज्ञानको मेरे अनिर्वचनीय नामरूप धामके जे जनैया हैं तिनके ज्ञानको ते विषयी मानै हैं ॥ ८ ॥ कहाभयेनलसुधवेसूझा । विनपरचै जगमूढ़ न बूझा ॥९॥ मतिकेहीनकौनगुणकहई । लालचलागेआशारहई॥१०॥ ऐसे बे सूझ जीवनिनको नहीं सूझपैरैहे ते कहां शुद्धभये, नहीं भयेमैं जो अनिर्बचनीय ताकेपरचै बिना जगमें मूढ़ीवो तुम न बूझत भयो सो ऐसे मातके हीन जे तुम तिनके कौनगुण कहैं लालचईमें लागेरैहैहैं काहूको द्रव्यकीआशा काहूको ब्रह्मज्ञानकी आशा काहूको नाना देवतनकी आशा काहूको विषयकी आशा में फिरैहै सांचजावेद को अर्थ मैं ताको न जानतभये अर्थात् साहबक हैहै कि मोको न जानोगे तो कबहीं बच नहीं, तो वेद पुरान कहहै कि, सब मरिजाहुगे ॥ ९ ॥ १० ॥ साखी । सुवा अहै मरिजाहुगे, सुयेकी बाजी ढोल ॥ | स्वप्नसनेही जगभया, सहिदानीरहिगाबोल ११॥ साहबकहै कि हेजीवो मुवाजोधोखा ब्रह्म नानादेवतातिनमें जो लागौगे तोमारजाहुगे अथात् जनमतैमरत रहौगे यातुम्हारे मुयेकी डोल जो वेदपुराणहै। सो बालैह कहे कहहैं । तब तुम्हारा इष्टदेवन को स्नेह औ सबसुख जगत्को स्वप्न ऐसा लैजायगा ये सब मुयेहैं ये वेदपुराण तात्पर्य्यते डंका दैकेकैहैहैं अथवाजोगुरुवालोग ब्रह्मको नाना देवतनमें लगाव है सो सबसंसारमें मुये की ढोल बाजैहै । मरिजाहुगे जो यामें लगौगे तो तुम्हारी सहिदानी बोलरहिजायगा । बोल कहाहै ने तुम अपने इष्टदेवनके ग्रन्थबनाय जावगे तेई रहिनायँगे कि फलानेकेबनाये ग्रन्थहै कालपाय वोहूं न रहिजायँगे अथवा सहिदानी बोल रहिनायगा कौन जौन मेरे रामनामको संसारमुख अर्थ करि संसारी भयोहौ सोइजगवकी सहिदानी भेरोनाम रहिनायगो ताहीको फेरि संसारमुख अर्थकार संसारी होउगे उछ नाममें मोको जानोगे तबही मुक्त होउगे ॥ ११ ॥ इतिग्यारहवीं रमैनी समाप्तम् ।